friendship
*Bachhan's poem on FRIENDSHIP :*
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....मै यादों का
किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत
याद आते हैं....
...मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं....
_...अब जाने कौन सी नगरी में,_
_...आबाद हैं जाकर मुद्दत से....😔_
....मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं....
....कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
....कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
....मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
....कुछ दोस्त बहुत याद...
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....मै यादों का
किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत
याद आते हैं....
...मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं....
_...अब जाने कौन सी नगरी में,_
_...आबाद हैं जाकर मुद्दत से....😔_
....मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं....
....कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
....कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
....मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
....कुछ दोस्त बहुत याद...