एक कहानी है...
एक कहानी है.. उस ..शख्श़ के पीछे,
अभी तुमने उसको... जाना कहां है
हां माना ये मैने तजु़र्बा तुम्हारा,
के ये दुनियादारी समझते हो तुम
मगर वो लम्ह़ा तो बस उसने जिया है
और तज़ुर्बों में इतना पैमाना कहां हैं
एक कहानी है उस शख्श़ के पीछे
अभी तुमने उसको जाना कहां है
ठीक है जो चाहो वो मन में बना लो
ऊपर से चाहो तुम कितना भी खंगालों
ये जो गुज़रे से लम्हे़ मेरी उम्र के पीछे
उन लम्ह़ों में तुम्हारा आशियाना कहां है
एक कहानी है उस.. शख्श़ के पीछे
अभी तुमने उसको... जाना कहां है
मेरी शख्शियत़ तुम जानो भी तो कैसे
क्या समेटूं हूं अंदर पहचानो भी तो कैसे
थोड़ा वक्त़ लगता है मुझको जानने में
और फुर्सत़ में इतना ज़माना कहां हैं
एक कहानी है उस ..शख्श़ के पीछे
अभी तुमने उसको ...जाना कहां हैं
समझता हूं मैं भी ज़माना है शात़िर
संभालना पड़ेगा खुद को ही आखिर
मगर टूटने की ....आदत है इसको
आवारा इस दिल का ठिकाना कहां हैं
एक कहानी है उस ..शख़्श के पीछे
अभी तुमने उसको... जाना कहां हैं
फिर भी मशविरा लेना तुम चलते चलते
यूं पहचान नही सकते तुम दो -तीन दफ़ा मिलके
कभी आओ गलियों में तो रूबरू कराऊं
कि अभी तुमने इस शख़्श को.. पहचाना कहां है....
अभी तुमने उसको... जाना कहां है
हां माना ये मैने तजु़र्बा तुम्हारा,
के ये दुनियादारी समझते हो तुम
मगर वो लम्ह़ा तो बस उसने जिया है
और तज़ुर्बों में इतना पैमाना कहां हैं
एक कहानी है उस शख्श़ के पीछे
अभी तुमने उसको जाना कहां है
ठीक है जो चाहो वो मन में बना लो
ऊपर से चाहो तुम कितना भी खंगालों
ये जो गुज़रे से लम्हे़ मेरी उम्र के पीछे
उन लम्ह़ों में तुम्हारा आशियाना कहां है
एक कहानी है उस.. शख्श़ के पीछे
अभी तुमने उसको... जाना कहां है
मेरी शख्शियत़ तुम जानो भी तो कैसे
क्या समेटूं हूं अंदर पहचानो भी तो कैसे
थोड़ा वक्त़ लगता है मुझको जानने में
और फुर्सत़ में इतना ज़माना कहां हैं
एक कहानी है उस ..शख्श़ के पीछे
अभी तुमने उसको ...जाना कहां हैं
समझता हूं मैं भी ज़माना है शात़िर
संभालना पड़ेगा खुद को ही आखिर
मगर टूटने की ....आदत है इसको
आवारा इस दिल का ठिकाना कहां हैं
एक कहानी है उस ..शख़्श के पीछे
अभी तुमने उसको... जाना कहां हैं
फिर भी मशविरा लेना तुम चलते चलते
यूं पहचान नही सकते तुम दो -तीन दफ़ा मिलके
कभी आओ गलियों में तो रूबरू कराऊं
कि अभी तुमने इस शख़्श को.. पहचाना कहां है....