...

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ये देश हमारे अपने है,
हे ऊपर वाले,निचे के रखवाले ने तो संकट में हमको अपना असली रूप दिखा दिया|

क्या तू भी हमसे अपना मुख मोड़ लिया? कभी आंधी-तूफ़ान,जोरों की बारिश तो कभी कड़कती धुप, औरऊपर से ये महामारी |

बेबस असहाय मजबूर हूँ,
प्रभु समझो हमारी लाचारी |

दिन - दुखिया मज़दूर हूँ,
घर से अपने दूर हूँ,|

मिला ना हमको कोई सहाय,
पथ पर चलने को मजबूर हूँ |

कई घर बनाये हमने,
ना जाने कितनो के सपने सवारे...