ये देश हमारे अपने है,
हे ऊपर वाले,निचे के रखवाले ने तो संकट में हमको अपना असली रूप दिखा दिया|
क्या तू भी हमसे अपना मुख मोड़ लिया? कभी आंधी-तूफ़ान,जोरों की बारिश तो कभी कड़कती धुप, औरऊपर से ये महामारी |
बेबस असहाय मजबूर हूँ,
प्रभु समझो हमारी लाचारी |
दिन - दुखिया मज़दूर हूँ,
घर से अपने दूर हूँ,|
मिला ना हमको कोई सहाय,
पथ पर चलने को मजबूर हूँ |
कई घर बनाये हमने,
ना जाने कितनो के सपने सवारे...
क्या तू भी हमसे अपना मुख मोड़ लिया? कभी आंधी-तूफ़ान,जोरों की बारिश तो कभी कड़कती धुप, औरऊपर से ये महामारी |
बेबस असहाय मजबूर हूँ,
प्रभु समझो हमारी लाचारी |
दिन - दुखिया मज़दूर हूँ,
घर से अपने दूर हूँ,|
मिला ना हमको कोई सहाय,
पथ पर चलने को मजबूर हूँ |
कई घर बनाये हमने,
ना जाने कितनो के सपने सवारे...