तुम
सावन की बूंदों से तुम
बन खुशबू भीनी भीनी सी माटी की
बिखर जाओ न मेरे अंदर
बन सुगंध ,, सांसों को मेरी महका जाओ न
अंधियारी रात में चांदनी बन आ जाओ...
बन खुशबू भीनी भीनी सी माटी की
बिखर जाओ न मेरे अंदर
बन सुगंध ,, सांसों को मेरी महका जाओ न
अंधियारी रात में चांदनी बन आ जाओ...