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शीर्षक :- " कैसी मोहब्बत "
शीर्षक :- " कैसी मोहब्बत "
विद्या :- श्रृंगार रस

कैसी तेरी यह प्रीत लगी
सुध बुध मेरी सब खो गई..

देखा जो मैंने तुमको अपने सामने
चप्पल पहनना भूल, नंगे पैर ही दौड़ गई..

लगाया जो बालों में मैंने अपने गजरा
न जाने क्यों तेरे हाथों की महक उसमें रह गई..

चुपके- चुपके जो देखी थी मैंने तुम्हारी नजरें
पलके झुका कर,शर्मा कर ,मैं मुस्कुराना सीख गई..

हाय .... !! कैसी मोहब्बत ये मुझे हो गई..
सब भूल बैठी "शालू" , "मैं " बस तेरी हो गई...

© Shalini Saklani ✍️ shaivali