...

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पैमाने ही अंत?
उन पैमानों पर नाप लिया गया एक जिंदगी को
ना किसी ने कहा,उसे भी तो एक मौका दो
सोच लिया बस,न कुछ यह कर पाएगा
जिंदगी की भीड़ में बस दब के रह जाएगा..

कोई सोच न सका उस जिंदगी का महत्व
बस नीचा दिखाना बन गया लोगों का कर्तव्य
कभी देख के भी अनदेखा कर दिया
कभी उसके वर्तमान को ही भविष्य मान लिया..

वह भी क्या कर सकता था,अंदर से वह टूट चुका था
अंधेरे में बस एक उम्मीद तलाश रहा था
हारा हुआ मन लेकर बस वह उठ ही रहा था
फिर जिंदगी की एक ठोकर लगी,और वह वहीं गिर पड़ा..

पर अब भी वह कठिनाइयों से लड़ रहा
है
गिर कर उठना अब वह सीख रहा है
पर आज भी नहीं बदल पाई उन लोगों की बातें
काश!पैमानों पर नहीं नापी जाती किसी की मंजिलें..



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#neverjudgeabookbyitscover #selfhelp #selfbelieve ..no one has right to decide anyone future by looking it's present...