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परिंदे का आसमान
परिंदे का आसमान,
जहाँ विचरता है वो स्वछंद होकर
होता है वो कितना बेपरवाह,
उड़ता है दिल में सपने संजोकर

वो आसमान है उसका घर,
कुछ नहीं भाता उसे सिवाय अपनी आज़ादी के
वही पर है उसकी जन्नत,
खुश होता है वो वहाँ रह के

दूसरों के भय के साए में बहुत जी लिया,
अब वो निडर हो विचरना चाहता है
मायूसियों को पीछे छोड़कर,
वो खुशियों को गले लगाना चाहता है

अब किसी के रोके से वो रुकेगा नहीं,
मंज़िल तक अपनी वो पहुँच के रहेगा
हर बाधा को वो करेगा पार,
अपना सपना पूरा करने के ख़ातिर वो कुछ भी करेगा

अभी तो उड़ना शुरू किया है उसने,
पूरा विस्तार है सामने उसके
पंख फैला लिए हैं अब उसने,
पूरे करेगा वो अपने सभी अरमान दिल के

© Poonam Suyal