मेरा चाँद
अफ़साने लिखा करती थी।
रोज़ रात छत पर मै,
उन्हें पढ़ा करती थी।।
एक रात चाँद ने
अफ़साना भेजा मुझे भी,
उस रात से फलक पर ही
बिस्तर लगाया करती थी।।
#Parul_writing_area
@parul
रोज़ रात छत पर मै,
उन्हें पढ़ा करती थी।।
एक रात चाँद ने
अफ़साना भेजा मुझे भी,
उस रात से फलक पर ही
बिस्तर लगाया करती थी।।
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