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बिमारी
हे ईश्वर ! ये कैसा कलयुग आया है ,
हर तरफ मौत के तांडव ने कैसा कहर बरसाया है,
बिमारी का ऐसा दौर तो पहले कभी न आया है,
जिसने इंसान को इंसान से ही दूर करवाया है,
एक सूने कमरे में बंद, न खाना, न पानी भाया हैं,
बिमारी से नहीं, इंसान अकेलेपन से घबराया है,
अस्पताल में भी अब तो पलंग न मिल पाया है,
मुर्दाघर भी अब तो मुर्दो से घबराया है,
जिन्दा इंसान दिल में और मरा हुआ शमशान में जगह न ले पाया है,
आक्सिजन की लड़ाई ने, सासों को ही हराया है,
इंसान को डाॅक्टर और डॉक्टर को भगवान बनाया है,
जिंदगी की इस लड़ाई में, कोई भी जिंदा न बच पाया है,
बिमारी को हराया, तो उसने जीवन पाया है,
इस समय इंसान ने, इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म बनाया है।
© dinesh@M
हर तरफ मौत के तांडव ने कैसा कहर बरसाया है,
बिमारी का ऐसा दौर तो पहले कभी न आया है,
जिसने इंसान को इंसान से ही दूर करवाया है,
एक सूने कमरे में बंद, न खाना, न पानी भाया हैं,
बिमारी से नहीं, इंसान अकेलेपन से घबराया है,
अस्पताल में भी अब तो पलंग न मिल पाया है,
मुर्दाघर भी अब तो मुर्दो से घबराया है,
जिन्दा इंसान दिल में और मरा हुआ शमशान में जगह न ले पाया है,
आक्सिजन की लड़ाई ने, सासों को ही हराया है,
इंसान को डाॅक्टर और डॉक्टर को भगवान बनाया है,
जिंदगी की इस लड़ाई में, कोई भी जिंदा न बच पाया है,
बिमारी को हराया, तो उसने जीवन पाया है,
इस समय इंसान ने, इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म बनाया है।
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