तल्खियां
चोट शब्दो के न सह पाते, जिनका स्वाभिमान होता है।
वो घाव गहरी दे जाता है जो, शख्स बद्दजबान होता है।।
किसी और कि क्या बिसात, ऐसे रिश्ते बिगाड़ दे आकर।
रिश्ता तब बिगड़ता है जब, कोई अपना बेईमान होता है।।
दर्द तभी तक है जानता, जबतक खाल में होता है नाखून।
खाल से निकलते ही...
वो घाव गहरी दे जाता है जो, शख्स बद्दजबान होता है।।
किसी और कि क्या बिसात, ऐसे रिश्ते बिगाड़ दे आकर।
रिश्ता तब बिगड़ता है जब, कोई अपना बेईमान होता है।।
दर्द तभी तक है जानता, जबतक खाल में होता है नाखून।
खाल से निकलते ही...