...

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बुर्जुग इंसान
वह जो एक किनारे पर बुजुर्ग
हो चुके इंसान दिख रहे हैं
वह कभी जवान भी थे,
हंसते भी थे और कुछ हसरतें भी थी,
कुछ हसरते पूरी हुई और कुछ बच्चों की
परवरिश की जहद में वह जमीनदोज हो गई
शायद इस उम्मीद में कि
वह सब अधूरी हसरतें उनके
बच्चे पूरी कर सकेंगे लेकिन
यह हो ना सका
यह सिलसिला परंपरा में बदल गया
और यह परंपरा बुद्धस्तूर लगातार जारी है,
आज हमारी तो कल उनकी
किनारे पर बैठने की बारी है
© Vinayakk Albbaila