...

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माँ की अराधना
जग तारण हार भइ उजागर l
कब उमड़ेगा ज्ञान का सागर ll
तम चिरकर बाधा पार करो l
सब दुखियारन के विपत्ति हरो ll

हाथ जोड़कर करते विनती l
चौबीस घंटे माला जपती ll
अब मेरी अखियाँ तरस रही l
तुम दरश दिखाओ राम कहीं ll

सब जग बैरन भइ अधियारी l
कौन सुनेगा पुकार दुखियारी ll
तेरे चरणों में शीश झुकाए l
अब किसको दास्तान सुनाए ll

मन से करते तेरी आराधना l
सच्ची है प्रभू मेरी साधना ll
करती मैं श्रद्धा के फूल अर्पण l
पूरा जीवन चरण में समर्पण ll

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© Paswan@girl