...

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साँझ
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
क्यों कर रहे दिल को बेक़रार इतना
क्यों हो ख़ामोश कुछ तो कहो
व्याकुल नैना निहार रहे किसका बाट
क्यों लिये दीप उम्मीदों की खड़े हो
तुम पंथ निहार बह रहे क्यों आँखों से
अश्क़
उठो करो स्वागत तुम आने वाली सुबह का , मत करो मन को तुम निराश .!!