साहसिच्छा
असीम हो तुम गगन से,
मदमस्त रहो पवन से,
मार्तण्ड से तुम दीप्त बनो,
केसरी से निर्भीक बनो,
अथाह रहो सागर से,...
मदमस्त रहो पवन से,
मार्तण्ड से तुम दीप्त बनो,
केसरी से निर्भीक बनो,
अथाह रहो सागर से,...