...

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पथिक
कंटक भरे है पथ अपितु
ध्येय अत्यंत ही भव्य मिलेगा
जय पराजय प्रति भावशून्य हूँ
अनुभव तो एक नव्य मिलेगा

जीर्ण-शीर्ण है साहस अब
पर स्पृहा तनिक भी मंद नहीं
युद्धरत होकर पराजित होने में
भयभीत होने में सानंद कहीं
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