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मोहब्बत
हर आगाज का एक दिन अंजाम आता है,
शख्स जैसा भी हो एक दिन खुलकर सरेआम आता है!
कोशिश की बहुत दूर रखूँ खुद को इश्क़ के जंजाल से,
मगर जहाँ में किसको इससे बचने का इंतज़ाम आता है!
मयखाने जाकर भी मैं शराब को हाथ नही लगाता,
भला तुम्हारी आँखों से नशीला भी क्या कोई जाम आता है!
मशहूर जो तुम हुए हो हमारी मेहरबानी है,
कमबख्त हर पहर मेरे जुबाँ पे जो तेरा नाम आता है!
दुनिया की रीत है मोहब्बत करने वालो को बेकार समझना,
और मुझे भी तुझे याद करने के अलावा कहाँ कोई काम आता है!!
© Ashish pandey
शख्स जैसा भी हो एक दिन खुलकर सरेआम आता है!
कोशिश की बहुत दूर रखूँ खुद को इश्क़ के जंजाल से,
मगर जहाँ में किसको इससे बचने का इंतज़ाम आता है!
मयखाने जाकर भी मैं शराब को हाथ नही लगाता,
भला तुम्हारी आँखों से नशीला भी क्या कोई जाम आता है!
मशहूर जो तुम हुए हो हमारी मेहरबानी है,
कमबख्त हर पहर मेरे जुबाँ पे जो तेरा नाम आता है!
दुनिया की रीत है मोहब्बत करने वालो को बेकार समझना,
और मुझे भी तुझे याद करने के अलावा कहाँ कोई काम आता है!!
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