...

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इंतजार
सुबह का इंतजार करती हू
उजाले की कोई गुंजाइश नही
फिर भी आशाए करती हू
सबका सूरज निकल आया
मेरा कब निकलेगा .........
इंतजार करती हू मै उस सुबह का
जिस दिन मै फूलो की तरह मुस्कुराउंगी
पंक्षियो की तरह चहचहाऊगी
भौरो की तरह गुनगुनाउगी ........
इंतजार करते करते बरसो बीत गए
उजाले की कोई गुंजाइश नही
फिर भी इंतजार करती हू.......
दुख आज ओले की तरह गिर पड़ा है
मै अकेली थरथरा रही हू
पहनने को स्वेटर नही
फिर भी इंतजार करती हू ......
इंतजार करती हू उस सुबह का
जिस दिन मै हजारो की भीड़ से आगे
जाऊंगी
अपना हर सपना पूरा कर दिखाऊंगी
चूमूंगी उचाइयो को पतंगो की तरह लहराऊगी ............
संघर्ष मेरी अर्धांगिनी बन चुकी है
फिर भी करती रहूंगी लगातार अपनी सुबह का
इंतजार केवल !इंतजार बस इंतजार !
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