मन की आवाज़
चलो आज हम कुछ लिखते हैं
अपने मन की आवाज़ सुनते हैं
जिम्मेदारियों तले जो पल बीते हैं
आज उनसे निकल मुस्कुरा लेते हैं
याद है ना, वो पहली सुबह ही थी
जब बचपन में हम स्कूल गये थे
छोड़ माँ की ऊँगली कलम पकड़े थे
आओ आज उसी की बातें कर लेते हैं
जब कच्ची पगडंडी से गुज़रा करते थे
उड़ता जहाज देख ख़्वाब सजाते थे
पायलट, टीचर, डॉक्टर, इंजिनियर,...
अपने मन की आवाज़ सुनते हैं
जिम्मेदारियों तले जो पल बीते हैं
आज उनसे निकल मुस्कुरा लेते हैं
याद है ना, वो पहली सुबह ही थी
जब बचपन में हम स्कूल गये थे
छोड़ माँ की ऊँगली कलम पकड़े थे
आओ आज उसी की बातें कर लेते हैं
जब कच्ची पगडंडी से गुज़रा करते थे
उड़ता जहाज देख ख़्वाब सजाते थे
पायलट, टीचर, डॉक्टर, इंजिनियर,...