...

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मेरी मां
मैं गांठ हृदय का खो लूँ क्या ,
कंधे पर सिर रख रो लूँ क्या ।
तुम आंखों से सब पढ़ लो ना ,
मैं मुँह से आखिर बोलूं क्या ।
ये इश्क़ मोहब्बत प्यार वफ़ा ,
तुम छोड़ चले मैं ढो लूँ क्या ।
कुछ दूर अभी अंधियारा है ,
मैं साथ तुम्हारे हो लूँ क्या ।
कई रंग उभर के आयेंगे
आंखों में सपने घोलूँ क्या ।
शायद वापस आये बचपन ,
माँ की गोदी में सो लूँ क्या !
~अजय बैरागी

© ajay_bairagi