...

4 views

खुशबू किताबों की
मन जो था इक दर्पण था
कितना प्यार बचपन था
इन अंखियों में उड़ान नई थी
सीने पर भी पहचान नई थी
स्कूल जाने से पहले जो दो आंसू ढलके थे
वहां जाते पता चला दुख तो ये दो पल के थे

झलका रही थी रंगत भी उजले उजले काबों की
बस्तों में जो भरी हुई थी नई खुशबू किताबों की

बीत गया ये बचपन अपनी ही खुमारी में
उलझेथेअब भी हम वो दोस्ती में यारी में
पलक झपकते...