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कभी कभी
कभी कभी मैं
लिखता हूं बहुत कुछ
बिन मतलब के शब्दों को
जोड़कर तोड़कर मैं
पंक्तियों को सजा कर
बहुत कोशिशों के बाद
चंद पंक्तियां लिखता हूं
लोग शायद इसे ही कविता कहते हैं
और
मैं तलाश करता हूं
ख़ुद के अधूरे जीवन को
टूटे फूटे बिना मतलब के शब्दों में,

बिन मतलब के शब्दों में
ताक़त बहुत होती है
वो जोड़ तोड़ कर
एक जीवन का निर्माण कर देती है
जैसे एक पक्षी
छोटे छोटे बिना हाथ पैर की तिनकों से अपना घोंसला...