खुद पर भरोसा रखो
।।खुद पर भरोसा रखो ।।
मानव तू क्यों घबराता है स्याह लघू जंजालों से,
तमस निशा के अंधकार से और भयावह व्यालों से।
क्यों घबराता कर्तव्यों के सुगम शांत रण दंगल से ,
ये दुनिया है कर्म भूमि तू सिंह सा आया जंगल से।
रखो भरोसा निज बल मन पर कार्य करो नूतन नूतन ,
मानव मनु संतान है तू तो नव प्रभात तो जीवन से।।....
सभी अनोखे हुए हैं अब तक चमत्कार के थे स्वामी ,
तू भी न कुछ साधरण है तन मन से...
मानव तू क्यों घबराता है स्याह लघू जंजालों से,
तमस निशा के अंधकार से और भयावह व्यालों से।
क्यों घबराता कर्तव्यों के सुगम शांत रण दंगल से ,
ये दुनिया है कर्म भूमि तू सिंह सा आया जंगल से।
रखो भरोसा निज बल मन पर कार्य करो नूतन नूतन ,
मानव मनु संतान है तू तो नव प्रभात तो जीवन से।।....
सभी अनोखे हुए हैं अब तक चमत्कार के थे स्वामी ,
तू भी न कुछ साधरण है तन मन से...