जले पे नमक...
हँसतीं हूँ मैं तुम्हारे के साथ,
हर रोज़ हम करतें हैं बात।
जलतीं हूँ मैं तुम्हारी बातें सुनकर,
अब उसके बारे में मुझे और मत सुनया कर।
कुछ खाली सा लगता है मुझे,
क्यों समझ नहीं आता है तुझे?
रोज़ सोचते रहती हूं मैं,
क्या होता अगर मिले थे ,उन जैसे हमे?
जलन होती है...
हर रोज़ हम करतें हैं बात।
जलतीं हूँ मैं तुम्हारी बातें सुनकर,
अब उसके बारे में मुझे और मत सुनया कर।
कुछ खाली सा लगता है मुझे,
क्यों समझ नहीं आता है तुझे?
रोज़ सोचते रहती हूं मैं,
क्या होता अगर मिले थे ,उन जैसे हमे?
जलन होती है...