...

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उनकी आवाज़
उनकी आवाज़ के सहारे ही तो जी रहे हैं..
उनके नर्म शब्दों से ही ज़ख्मों को सी रहे हैं..
बेचैन कर देती हैं हैं हमें खामोशी उनकी,
उनकी एक हँसी के लिए हर गम को पी रहे हैं..
उनकी आवाज़ के सहारे ही तो जी रहे हैं..
चाहते हैं कितना उनको ये बयां नहीं कर सकते..
मर जाएंगे हम पर उनके बिन जी नही सकते,
हम उनके हो चुके हैं किसी के नही रहे हैं..
उनकी आवाज़ के सहारे ही तो जी रहे हैं..

© अश्वनी राव