...

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दूर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा है कोई,
मन बंजारा कहता ढूंढ रहा है कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
जीना सबका भी दुशवार कर रहा कोई।

पर इच्छा सबकी तो चकनाचूर है।
दिल्ली तो अब भी जनता से दूर है।।......

तन्हाई में रात अनेकों काटे हैं,
दर्दो गम कितना ही जाने बाटे हैं,
तुम तो कहते हम सब दिल से एक ही है
राह में अपने पुष्प नहीं क्यों काटे हैं।

तुम कहते हो हम तो सुंदर सपने हैं
पर हम कितने अपनों के भी अपने हैं,

हम सब एक सभी कहते पर बोलो भी,
दिखे नहीं हो साथ कभी मन खोलो भी।

यह दुनिया तो सुंदर सा एक सपना है ,
जितना बाहर से दिखता सब अपना है ।

पर यह बातें क्या बस है अखबारों की ,
या कहने लायक बाते दरबारों की।

या फिर इनको मंचों पर ही गाओगे,
वाह वाह दो-चार तालियां पाओगे ।

तुम भी जो कहते हो उसको बोलो ना ,
मन में जो जो राज छिपा है खोलो ना ।

ऐसे ही कब तक तुम गाते जाओगे ,
दुनिया को सब झूठ दिखाते जाओगे।

तुम्हें नहीं लगता कि यह सब सपना है,
या झूठा...