...

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संगम

© Nand Gopal Agnihotri
कल अचानक धूप में, वर्षा झमाझम हो गई।
दृश्य अनुपम था मनोहर, आंखें अटक कर रह गई।।
पहली बारिश ऋतु की ये, बच्चे भी निकले झूम के।
प्यास धरती की बुझी, कृषकों के चेहरे खिल उठे।।
पवन की गति मंद थी,बादल का टुकड़ा था अड़ा।
सूर्य भी रुक कर गगन से,धूप बरसाता रहा।।
धूप और वर्षा का संगम, घंटों तक देखा किए।
दिल से ये आवाज निकली, और हम गाने लगे।।
- देखते-देखते सूर्य के तेज में,
सहसा बादल जो बरसे, मजा आ गया।
लू की गर्मी मिटी, मौसम ठंडा हुआ -
तन पे बूंदें पड़ीं तो मजा आ गया।
नन्द गोपाल अग्निहोत्री