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आज की बात
अरे अपना क्या है? कुछ नहीं। आए खाली हाथ और जाएंगे खाली हाथ। फिर क्यूं करते हैं हम तू तू मैं मैं। क्या हम बकरी हैं। इंसान हैं । इतिहास गवा है अकेला तो मेरा,जिंदा अगर साथ रहा। आज सबको इतना उपर अना है कि दूसरे को नीचा दिखाने तक पहुंच जाते हैं । ये कादा भी नहीं सोचते की अनपर क्या बीती है।
हमारे एक अध्यापक थे। जिनकी खिड़की एक संग थी । जो non governmentalथी । तो हम उसमें भर्ती हुए। चलो सब अच्छा चल रहा था। तभी लो आए पधारे हमारे कोरोना साहब। सभी कार्यक्रमों को ऑनलाइन द्वारा किया गया। ए लीजिए..हमारे यहां तो अंतर्जाल सही तरह से मिलता ही नहीं। अब ये बात हमने उन्हें बताया। चलो ठीक है सोचकर ऐसे तैसे दिन गुजरे।
फिर हुआ बवंडर । ई साहब बतियारहे थे कि हम कार्यक्रम में भाग नहीं लेरहे हैं। अब आप ही बताइए हम क्या करे।
अगर हम इंसानूकों ही दूसरे को समझने कि क्षमता नहीं तो क्या जानवर समझेंगे। चलो पालतू जानवर तो समज ही जाते हैं ,उन्हें सिर्फ हम नहीं समज सके।
फिलाल ये पक्का है कि भाई इंसान बहुत खतरनाक हैं।