...

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कभी वह दिन था
कभी वह दिन था
जब तेरे आने से मेरा दिल धड़कता था
तेरे बगल से गुजर जाने से मेरा चेहरा चमकता था...

कभी जब मैं चलती थी
तो पैरों में पायल की आवाज में तेरा नाम बजता था
इस दिल में तेरे नाम का गुलाब उगता था...

कभी वह दिन था
जब आईने के सामने गेसूओं को सवारतें हुए
तेरा चूमना याद आता था...

कभी वह दिन हुआ करता था
जब तेरे आने की खुशी में,
सजना सवारना हुआ करता था...

आज तू नहीं तो सब बिखरा-बिखरा सा लगता है
सजना सवरना भी अब कहां अच्छा लगता है.. ✍️✍️
© Shalini Saklani ✍️ shaivali