...

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खिल गए
खिल गए

हक़ मांगते किसानों को
शाहों के जीप कुचल गए
पदक वाली बेटियों को
वहशी दरिंदे निगल गए

जो डर गए झुक गए
संघर्ष से निकल गए
गुनाह उनके धुल गए
हुक़ूमत से जो मिल गए

जो तने रहे खड़े रहे
डरे नहीं अड़े रहे
वो भारत की माटी के पूत
सूरज की भांति खिल गए

टूटे नहीं झुके नहीं
चाहे क़ैद में पड़े रहे
देख माँ भारती के सपूत
तानाशाहों के दिल दहल गए

जय हिंद! जय भारत!

- #प्रवासी #प्रवासीसंग्रह #pravasi #तानाशाह #किसान #प्रजातंत्र
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