...

13 views

तुझमें धड़कती हूं मैं...


तेरे यादों की दरिया में कश्ति हूं मैं
तुझमें ही एक कोने में बसती हूं मैं...
तेरी आहट लगे जैसे ठंडी हवा
तेरे शिरकत के लिए तरसती हूं मैं...
तेरी नाराजगी पर जैसे धूल जमी
तेरे खुशियों के खातिर भटकती हूं मैं...
काग़ज़ी हो चुकी सारी दुनिया मेरी
तेरे स्याही के लिए बहकती हूं मैं...
नाराज़ जितना भी होता मुझसे
मैं तो जानूं कि
तुझमें धड़कती हूं मैं...



© Rishali