*** उजाला हो गया देखो ***
उजाला हो गया देखो ,मैं अब घर लौट जाना चाहता हूँ,
रात भर लड़ी दीये ने तम से जंग ,सहर को बताना चाहता हूँ,
भटकता रहा हूँ उम्रभर , निज अस्तित्व की तलाश में,
डोलता है मृग जैसे , एक अनबुझी सी प्यास में,
छोड़ मोह माया को , यारी ख़ुद से निभाना चाहता हूँ ,
उजाला हो गया देखो ,मैं अब घर...
रात भर लड़ी दीये ने तम से जंग ,सहर को बताना चाहता हूँ,
भटकता रहा हूँ उम्रभर , निज अस्तित्व की तलाश में,
डोलता है मृग जैसे , एक अनबुझी सी प्यास में,
छोड़ मोह माया को , यारी ख़ुद से निभाना चाहता हूँ ,
उजाला हो गया देखो ,मैं अब घर...