...

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हासिल...
ज़िंदगी की राह में खोया एक अरमान है,
खुशियों के पल में छुपा एक ग़म का सामान है।

खुशियों की चाह में दौड़ते रहे, गमों के साए में खो गए,
सपनों की दुनिया में गुज़रे पल, कहीं खुद से ही सो गए।

कभी हंसते थे हम, कभी रोते थे साथ में,
भींग गईं पलकें इन खुशियों की बरसात में।

हर मोड़ पर सवाल उठते हैं, क्या सच में जी लिए हम?
खोया क्या और पाया क्या, ये सवाल आज भी है चुभन।

Written By,
Ivan Edwin
Pen Name :Maximus.
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