...

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मानव मन
रवि खाएं पुन्य सोए,
मंगल खाएं अमंगल होए,
शनि खाएं रोग‌ खोए।
वहीं दिन वही ग्रह नक्षत्र
कहीं और कुछ और पसंद उसे भाए।
मानव मन की चाल
इनसे दस क़दम आगे सुझाए ।
उससे वो तो थर-थर कांपे
नाना प्रकार के विधि विधान
मंत्र प्रार्थना जो कुछ प्रयोग में लगाए।
चाल अपनी हर मानव मन
के ...