...

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🌺 ग़ज़ल 🌺
अब किसको किसीका इंतज़ार रहता है,
एक बिछड़ा तो दूजा तैयार रहता है।

कोई अपना भी समझे, निभाए मुझे,
उम्मीद में भटकता ख़ुद प्यार रहता है।

इस तरह उसका जाना ख़ुशी दे गया,
उसके ग़म का गली में त्योहार रहता है।

हमनें गोदा था दिल जिस शज़र में सुनो,
देख जाओ कभी वो बीमार रहता है।

है गुमां जिसको खुदपर मोहब्बत करे,
देखें वो कबतक खुद्दार रहता है।

उसके दिल में 'डिअर' तू किराए पे था,
अब कहते हैं उसमें हक़दार रहता है।

प्रखर कुशवाहा 'Dear'