...

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चिराग बुझा दो...
सारी रात जला है, अब चिराग बुझा दो,
अपने आंचल से मां, थोड़ी सी हवा दो।
हां लौट आया हूं, जिंदगी से थका हारा,
तेरी गोदी में रखकर सर मुझे सुला दो।।
आखिर क्यूं , सवालात कर रही जिंदगी,
मुझे जीने के लिए तुम अब कोई वजह दो।।
हौसले को फासले में बदल रही यूं दुनिया,
कह तो रही है, जो याद तुझे उसे भुला दो।।
कुछ अधूरा सा पूरा हुआ, लग रहा है अब,
हे, अब आओ भी मुझे अपने गले लगा लो।।