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ज़िंदगी
गौर से देखा सबके चेहरों को, बहुत कुछ कहती है ये नन्नी सी नज़रे
फिर मैंने सोचा और समझा
जिस जिंदगी को जी रहा हूं, उसे समझा जाए ये ख्याल सताया
तो पलट डाले ज़िंदगी के कई पन्ने, अपने साथ औरों के जीवन को भी एहसास में लाया

किसी और की मुस्कान का कारण बनकर देखा
तो शब्दों में बयान ना हो वो एहसास हुआ है
देखा कि जिन उपलब्दियों के साथ में जी रहा हूं , वो जीवन भी किसी का सपना है

सुख - दुख की भी सबकी अपनी वजह है
ये तो महिमा है उसकी जिसका ये जहां है

किसी को दो दिन पुरानी रोटी में भी खुश देखा है
किसी को पंच पकवान की थाली में भी रूठा सा देखा है
देखा है किसी को एक...