...

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और क्या...💔💔✍️✍️ (गजल)
हमें तो रोना तड़पना है और क्या
उसको पाना सपना है और क्या

जुगनुओं सो जाओ तुम तो चैन से
मुझे शब भर जगना है और क्या

बता किस पर यकीं करूं 'सत्या'
यहां कोई ना अपना है और क्या

वो तो जी ले खुश होकर जिंदगी
मुझे घुट घुट के मरना है और क्या

तुम्हे मुबारक हो साथ रकीबों का
मुझे तन्हा ही चलना है और क्या

मेरी मोहब्बत भी बोझ लगने लगी
उसको यार बदलना है और क्या

कब तक बचती रहेगी नदी सागर से
उसको उसी में मिलना है और क्या

मैं फूल हूं बेशक मुरझाया हुआ
मुझे फिर से खिलना है और क्या




© Shaayar Satya