ग़ज़ल 7 : कितने बदनसीब हैं हम
कितने बदनसीब हैं हम
बिगड़ा हुआ नसीब हैं हम
मिलकर हंस न पाओगे
खुशियों के रकीब हैं हम
रात ने यकीं दिलाया के ...
बिगड़ा हुआ नसीब हैं हम
मिलकर हंस न पाओगे
खुशियों के रकीब हैं हम
रात ने यकीं दिलाया के ...