पिता
अपने क्रोध के वशीभूत हो
इच्छा तो बहुत है
खरी खोटी ख़ूब सुनाऊं
उसको उसकी औकाद बताऊं।
पर जब वो सामने होता
आंखे नम पड़ जाती
क्रोध काफूर हो जाता
जज़्बात हिचकियां लेते
आंखे बंद करते ही
मानस पटल पर एक चलचित्र...
इच्छा तो बहुत है
खरी खोटी ख़ूब सुनाऊं
उसको उसकी औकाद बताऊं।
पर जब वो सामने होता
आंखे नम पड़ जाती
क्रोध काफूर हो जाता
जज़्बात हिचकियां लेते
आंखे बंद करते ही
मानस पटल पर एक चलचित्र...