...

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अभी
अभी वातावरण शांत है,
चारों और एकांत है।

अकेलेपन के बादल है घेरे,
ना कोई साथ मेरे ,
ना कोई पास मेरे।
मोहब्बत की आस है घेरे,
और अकेले बादल के फेरे,
लिए जा रहा हूं।
सूखे नयनों की प्यास में,
आने वाली उजास में ,
जिए जा रहा हूं।


नींद उनींदी - सी चेहरे लिए,
और संसार जड़वत है मेरे लिए।


© Nilesh