Prem granth
आज फिर कुछ दिनो के बाद देहरी की दिवार पे, बाटता चारा जोडा कौवो का नजर आया! पूरब की उठती लालिमा से चेहरे पे है नूर छाया, लग रहा किसी के आने की खबर दिल मे पुरजोर आया!! मन के आगन को गुद गुदाती ये धडकने है, लग रहा भरने मागको तेरी कोई है सिन्दूर लाया!!! कल रात जो दिदारे ख्वाब था तेरे हृदय का, लग रहा सामने तेरे तेरा वो चँlद...