अभी भी वक़्त है ...
कभी कोई कहानी सुनी है?
आओ मैं सुनाता हूँ .
अल्फ़ाजो में लपेट कर अतीत ले आता हूँ .
किसी की मुस्कराहट भीड़ में भी अलग थी,
बाक़ी सब मिट्टी समान वो फ़लक थी.
चलती थी हवाये यूँ तो पहले की तरह, आने से उसके फिज़ाओ में महक थी.
रौशनी तो सूरज भी हर रोज करता ही था हमने उसके आगे दिए जलाये ,
टूटा फूटा जो दिल था कापते हाथों से हथेली पे ले आये
मुकद्दर अच्छा था जो नसीब में साथ उसका मिला
वो जहाँ ले चला पीछे पीछे मैं भी चला.
नुमाइंदगी उसने मेरी हर जगह की
हर जगह वो मेरी ढ़ाल थी.
खुद नाजुक भले ही हो दूसरों...
आओ मैं सुनाता हूँ .
अल्फ़ाजो में लपेट कर अतीत ले आता हूँ .
किसी की मुस्कराहट भीड़ में भी अलग थी,
बाक़ी सब मिट्टी समान वो फ़लक थी.
चलती थी हवाये यूँ तो पहले की तरह, आने से उसके फिज़ाओ में महक थी.
रौशनी तो सूरज भी हर रोज करता ही था हमने उसके आगे दिए जलाये ,
टूटा फूटा जो दिल था कापते हाथों से हथेली पे ले आये
मुकद्दर अच्छा था जो नसीब में साथ उसका मिला
वो जहाँ ले चला पीछे पीछे मैं भी चला.
नुमाइंदगी उसने मेरी हर जगह की
हर जगह वो मेरी ढ़ाल थी.
खुद नाजुक भले ही हो दूसरों...