...

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वफ़ा
वफा सिर्फ हमारे सर हैं क्या
ईमान कोई तुम्हारे दर हैं क्या

बच्चे सा दिल हैं तो रोना ही ठीक
बसे इंसान जहां, ऐसा घर हैं क्या

कारोबार चलते हमसे कहां है
उड़ चले कहीं,होते हमारे पर हैं क्या

अब जरूरी कुछ भी लगता नहीं है
वक़्त जैसे गुजरे, जाने का डर हैं क्या