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“दर्द”
बयां जो हो जाये
वो दर्द कहां होता है
दिल मे रहता है
न
आंखों से रवां होता है
लोग नादां हैं
समझते हैं कि
‘ख़ामोशी...'
उसकी लाज़िम ही नही
जिसकी ज़बां होती है
“दर्द आवाज़
छीन लेता है”
बात इतनी है
उसको समझ आता नही
वरना आंखें मेरी
ख़ामोश कहाँ होती हैं
© Arshi zaib
वो दर्द कहां होता है
दिल मे रहता है
न
आंखों से रवां होता है
लोग नादां हैं
समझते हैं कि
‘ख़ामोशी...'
उसकी लाज़िम ही नही
जिसकी ज़बां होती है
“दर्द आवाज़
छीन लेता है”
बात इतनी है
उसको समझ आता नही
वरना आंखें मेरी
ख़ामोश कहाँ होती हैं
© Arshi zaib
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