बेचैनियां
मन में दफ़न है कई राज,उसे बयां नहीं कर पाते है,
बेचैनियां बढ़ती जाती, पर डर से छुपाए रखते है!
इस जहां में कोई अपना नहीं जिस पर विश्वास करे,
दिल पे जो गहरे ज़ख्म है उसे बेफिक्र से सुनाए है!
हर रिश्ते के अंदर दोहरे चरित्र का चोर...
बेचैनियां बढ़ती जाती, पर डर से छुपाए रखते है!
इस जहां में कोई अपना नहीं जिस पर विश्वास करे,
दिल पे जो गहरे ज़ख्म है उसे बेफिक्र से सुनाए है!
हर रिश्ते के अंदर दोहरे चरित्र का चोर...