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सर पे पल्लू धरना
सदा मर्यादा में रहना
अपने से बड़े बुड्ढों का
आदर और सम्मान करना
अपनी संस्कृति का सदा मान रखना
चकाचौंध भरी इस दुनिया में
देखो तुम कहीं गुम न होना
संस्कार जो दिए तुम्हें तुम्हारे परिजनों ने
तुम्हारे विवाह संस्कार समारोह में
उसको कभी तुम भुला ना देना
अपने कुल की मान रखना
दादा दादी के कथनों का सम्मान रखना
माता-पिता के वचनों का मूल्य समझना
सर पर पल्लू सदा तू धरना
नजरों की नियत होती है बड़ी खराब,
इससे सदा तू बचना
भूल कर भी कभी अपने बड़ों से
तुम नजर न मिलाना
शब्दों के तीर करते हैं घाव गंभीर
ससुराल में कभी किसी को जवाब ना देना
रिश्तो की गरिमा को समझना
लाज तो होता है स्त्री का अमुल्य गहना
इसको कभी ना तुम तिलांजलि देना
कुछ वक्त कठिन होते हैं
पर समय के साथ सब सही होते हैं।
थोड़े में दूध की तरह ना अकुलाना
पानी की तरह धीरज से काम लेना
संस्कारों की बली ना देना
अपनों की तौहीन न करना
सास ससुर की सेवा में
तन मन अपना निसार देना
ससुराल को अपना घर समझ
उसमें ढ़लने की हर संभव प्रयास तू करना
पति तुम्हारे लिए सर्वो परी हो
ऐसे विचार तू मन में भरना
मायके कि तुम हो गहना
सदा चमकते यूं ही रहना
कभी जो जी भर आए तो
बाबुल को तुम याद करना
उनके लिए तुम सर्वोपरि हो
जब चाहे आवाज देना....!!
किरण