ईश्वर को तुम मेरी कविताओं में तलाशना....!
अच्छा... सुनो...!
ईश्वर को
तलाशना हो अगर
तो तुम उसे...
मेरी कविताओं में
तलाश करना !
मेरी कविताओं में मैंने
उसे धूप लिखा है...
संभवतः... जिसके न होने से ही
जीवन के अर्थ ही बदल जाते शायद...
मैंने लिखा है उसे अक़्सर
नीला आसमान...
जो शून्य सा दिखलाई पड़ता तो है
,मगर खाली नहीं है....
मेरी कविताओं में मैंने
ईश् को लिखा है शुद्ध-प्रेम
प्रेम... जो स्वत: ही
हृदयों की खोहडों में पनप जाता है...
सुनो मेरी...
ईश्वर को
तलाशना हो अगर
तो तुम उसे...
मेरी कविताओं में
तलाश करना !
मेरी कविताओं में मैंने
उसे धूप लिखा है...
संभवतः... जिसके न होने से ही
जीवन के अर्थ ही बदल जाते शायद...
मैंने लिखा है उसे अक़्सर
नीला आसमान...
जो शून्य सा दिखलाई पड़ता तो है
,मगर खाली नहीं है....
मेरी कविताओं में मैंने
ईश् को लिखा है शुद्ध-प्रेम
प्रेम... जो स्वत: ही
हृदयों की खोहडों में पनप जाता है...
सुनो मेरी...