...

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अभी आजमाइशें बाकी हैं
अभी आजमाइशें बाकी हैं ,
ज़िन्दगी में ख्वाहिशें बाकी हैं ,
इतना भी मत इतरा अपनी जीत पर ,
अभी मेरे हाथों में लकीरें बाकी हैं !!

तुझे लगा की अगर चुप हूँ ,
तो तेरे सवालों का जवाब नहीं हैं ,
मेरे चुप रहने की वजह से ही जीता हैं तू ,
इस झूठी जीत का इतना गुमान ना कर,
तुझे आज ये लोग सच्चे और मैं बेशक झूठा लगू ,
जरुरत के वक़्त कोई तेरे साथ न होगा ,
आज मेरे चुप की वजह से जीता है ,
और कल भी अपनी जीत के लिए मेरा ही मोहताज़ होगा ,

सब तो दिया तुझे , अब बाकी कुछ भी नहीं है ,
कितनी बार माफ़ करू ,अब तो तू मेरी दोस्ती के काबिल नहीं है ,
इतना भी मत इतरा अपनी जीत पर ,
अभी मेरे हाथों में लकीरे बाकी है !!!!

© NehaV