बस इतना ही कहना था (बेटा)
चाहता हूं कि कोई मिले ऐसा
जिसे बात सकूं दिल का हाल अपना
हर मुस्कान के पीछे छिपी जो कहानी है
कोई तो समझ सके मेरे मन की ये क्या वीरानी है
जिम्मेदारियों की हथकड़ी से बंधा खड़ा हूं
अपनी ख्वाहिशों का गला घोट में चल पड़ा हूं
शायद जो नसीब में ही नहीं उसे पाने पर जो अडा हूं...
जिसे बात सकूं दिल का हाल अपना
हर मुस्कान के पीछे छिपी जो कहानी है
कोई तो समझ सके मेरे मन की ये क्या वीरानी है
जिम्मेदारियों की हथकड़ी से बंधा खड़ा हूं
अपनी ख्वाहिशों का गला घोट में चल पड़ा हूं
शायद जो नसीब में ही नहीं उसे पाने पर जो अडा हूं...