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कोरोना पर विजय
एक कविता और जिसने के लिए मुझे सम्मानित किया गया है कुछ दिनों पहले ही आपके सामने प्रस्तुत करती हूं मै.....

खुशहाल थे लोग,
सुचारू था जीवन।
मिलते जुलते आपस में जब,
तो खिल उठता था मन।
गली मोहल्लों में होती थी चहल पहल गंभीर,
बाजारों में खूब उमड़ती थी भीड़।

पसर गया सन्नाटा चहुं ओर,
कोरोना ने दस्तक दी जोर।
डर का माहौल बना इस प्रकार,
लोग इक्कट्ठे होते भी न दो-चार।

एक देश से फ़ैला ये वायरस,
तांडव कर रहा है वैश्विक स्तर पर,...